Doctor verghese kurien biography, unka desh ke liye yogdaan, unki shikhsha, parivaar, unke dwara likhi gayi kitabein, unhe prapt awards sabhi jakariya
डॉक्टर
वर्गीज
कुरियन
का जीवन
परिचय।
मिल्क मैन ऑफ़ इंडिया के नाम से मशहूर, श्वेतक्रांति (White Revolution) के जनक डॉ. वर्गीज कुरियन वो महान शख्स हैं जिन्होंने साठ के दशक में दूध की किल्लत से जूझ रहे भारतवर्ष को दुनिया का नंबर 1 दुग्ध उत्पादक देश बना दिया।
अमूल की स्थापना उनके जीवन की सब से बड़ी उपलब्धियों में से एक रही। अपने अभूतपूर्व समाज कल्याण कार्यों के लिए भारत सरकार द्वारा उन्हे पद्म श्री, पद्म भूषण, पद्म विभूषण तथा कृषी रत्न अवार्ड से सम्मानित किया गया था। आइये हम उनके जीवन के बारे में विस्तार से जानते हैं।
जन्म व शिक्षा/birth date, birth place and education of doctor verghese kurien:-
डॉ॰ वर्गीज कुरियन का जन्म 26 नवंबर, 1921 के दिन केरल राज्य के कोझिकोड शहर में एक सिरियन क्रिश्चन परिवार में हुआ। बाल्यकाल से ही तेजस्वी छात्र रहे वर्गीज कुरियन ने वर्ष 1940 में चेन्नई, लोयला कॉलेज से विज्ञान विषय में स्नातक की उपाधि हासिल की थी। उसके पश्चात उन्होने चेन्नई में ही रह कर जी॰ सी॰ इंजीनियरिंग कॉलेज से इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल कर ली।
पढ़ाई पूरी कर लेने के बाद उन्होने जमशेदपुर आ कर टिस्को (टाटा स्टील लिमिटेड) में काम किया। काम करते-करते भी उन्होने अध्ययन जारी रखा। और फिर जब उन्हे डेयरी इंजीनियरिंग की पढ़ाई के लिए भारत सरकार द्वारा छात्रवृति प्राप्त हुई जिससे वह पहले इंपीरियल इंस्टीट्यूट ऑफ एनिमल हजबेंड्री एंड डेयरिंग, बेंगलुरु में तक 9 महीने तक पढ़े और फिर विशेष शिक्षा हासिल करने मिशीगन स्टेट युनिवर्सिटी, अमेरिका चले गए। उन्होंने 1948 में मैकेनिकल इंजीनियरिंग विषय में मास्टर डिग्री प्राप्त की। इस अभ्यास क्रम में डेयरी फ़ार्मिंग उन्होने एक विषय के तौर पर पढ़ा था।
यह बात रोचक है कि डॉ. कुरियन शुरुआत में डेयरी फार्मिंग में रूचि नहीं रखते थे और सिर्फ सरकारी स्कालरशिप के कारण वे इसकी पढ़ाई कर रहे थे।
डॉ. वर्गीज ने बाद में खुद कहा था-
मैं डेयरी इंजीनियरिंग की पढ़ाई के लिए भेजा गया था… मैंने थोड़ी-बहुत चीटिंग की और मेंटलर्जिकल व न्यूक्लियर इंजीनियरिंग की पढ़ाई की.. जो शायद जल्द ही आजाद होने वाले मेंरे देश और मेंरे खुद के लिए अधिक उपयोगी हो सकती थी। लेकिन बाद में उन्होंने डेयरी टेक्नोलॉजी को गंभीरता से लिया और 1952-53 में गवर्नमेंट स्कालरशिप पे न्यूज़ीलैण्ड और अमूल की स्थापना करने से पहले ऑस्ट्रेलिया गए।
परिवार/family of doctor verghese kurien:-
डॉ॰ वर्गीज कुरियन की धर्म पत्नी का नाम मौली और उनकी पुत्री का नाम निर्मला था। कुरियन जी की मृत्यु जिस वर्ष में हुई उसी वर्ष में उनकी पत्नी की का भी देहांत हो गया। डॉ. कुरियन काम के साथ-साथ परिवार को बहुत महत्त्व देते थे और उनका कहना था कि –
“आठ घंटे डेयरी के लिए, आठ घंटे परिवार के लिए और आठ घंटे सोने के लिए।”
डॉ. वर्गीज कुरियन की लाइफ का टर्निंग पॉइंट :-
मास्टर डिग्री प्राप्त कर लेने के बाद डॉ॰ वर्गीज कुरियन अमरीका से भारत लौट आए। और वर्ष 1948 में ही भारत सरकार द्वारा संचालित डेयरी विभाग में शामिल हो गए। अगले वर्ष 1949 में उन्होने गुजरात राज्य के आनंद में सरकारी अनुसंधान क्रीमरी (मक्खन घी आदि बनाने का कारखाना) में डेयरी इंजिनयर के रूप में भेजा गया। डॉ. कुरियन सिर्फ अपना बांड पूरा करने के लिए वहां काम करने लगे। और जल्द ही बेमन की अपनी नौकरी छोड़ दी।
वह आनंद से वापस जाने ही वाले थे कि तभी कैरा जिला दूध उत्पादक संघ लिमिटेड (KDCMPUL) के संस्थापक त्रिभुवनदास पटेल ने उन्हें रोक लिया और कुछ दिन अपने साथ काम करने के लिए मना लिया। ऊपर से किसानो ने उनके ऊपर जो भरोसा दिखाया उसने डॉ. कुरियन को उनकी मदद के लिए प्रेरित किया। Kaira District Cooperative Milk Producers Union Limited (KDCMPUL) ने ही आगे चल कर अमूल नाम से अपने डेयरी उत्पादों की ब्रांडिंग की।
वो आविष्कार जिसने
अमूल को बड़ी सफलता
दिलाई
/contributions of doctor verghese kurien the milk man of india :-
दिसंबर से मार्च तक जब दूध का उत्पादन अधिक मात्रा में होता है, तब किसानो को दूध बेचने के लिए कोई नहीं मिलता था। ऐसे में यदि दूध को पाउडर में कन्वर्ट कर दिया जाता तो बात बन जाती। लेकिन उस समय तक सिर्फ गाय के दूध का पाउडर बनाने की तकनीक थी।
ऐसे में डॉ. कुरियन ने अमेरिका में उनके बैचमेंट रहे H. M. Dalaya को आनंद बुलाया और वहीँ रहने के लिए राजी कर लिया। जल्द ही H. M. Dalaya ने भैंस के दूध से स्किम दूध पाउडर और कंडेंस्ड मिल्क बनाने का आविष्कार कर दिया।
इस इन्वेंशन ने ही अमूल को दुनिया भर की कंपनियों के मुकाबले एक competitive edge दे दिया। और आज अमूल लगभग 6 बिलियन डॉलर की Cooperative है जिसके उत्पाद 60 से अधिक देशों में बेचे जाते हैं।
जब डॉ. कुरियन के मित्र ने भैंस के दूध से स्किम दूध पाउडर और कंडेंस्ड मिल्क बनाने की शुरुआत की थी तब दुनिया भर के डेयरी एक्सपर्ट इसे असम्भव मानते थे।
अमूल नामकरण:-
डॉ. कुरियन एक इंजिनियर थे और मार्केटिंग, ब्रांडिंग इत्यादि पर इतना ध्यान नहीं देते थे। ऐसे में उनके साले K.M. Philip ने उन्हें इन चीजों की महत्ता बतायी। इसके बाद ही उन्होंने एक ब्रांड नेम की खोज शुरू की और बहुत विचार विमर्श किया और अंत में अमूल नाम का चयन किया गया, जो संस्कृत भाषा के एक शब्द “अमूल्य” से लिया गया है। इसका अर्थ अनमोल होता है।
शायद आपको जानकार आश्चर्य हो कि अमूल नाम का सुझाव dairy laboratory में काम करने वाले एक केमिस्ट ने दिया था।
राष्ट्रीय दुग्ध विकास बोर्ड (NDDB)/national dairy development board:-
आने वाले समय में अमूल अब नेस्ले जैसी दिग्गज कंपनी को टक्कर देने में समर्थ हो चुकी थी। चूँकि अभी तक नेस्ले गाय के दूध का पाउडर ही बनाता था। अमूल की सफल शुरुआत देश के प्रधान मंत्री श्री लालबहादुर शास्त्री को इस कदर प्रभावित कर गयी कि उन्होने अमूल मॉडल को समग्र भारत में प्रसारित करने हेतु वर्ष 1965 में राष्ट्रीय दुग्ध विकास बोर्ड (NDDB) संस्था का गठन किया और डॉ॰ वर्गीज कुरियन को बोर्ड के अध्यक्ष पद पर बहाल कर दिया। इस पद पर वह करीब 33 साल (1965 से ले कर 1998 तक बने रहे)। कुरियन जी वर्ष 1979 से ले कर वर्ष 2006 तक इंस्टीट्यूट ऑफ रुरल मैनेजमेंट आनंद (IRMA) के अध्यक्ष पद पर रहे थे।
➡ डॉ. कुरियन की राजनीतिक पकड़ बहुत मजबूत थी। माना जाता है कि उन्होंने 5 दशक तक कम से कम 9 प्रधानमंत्रियों के साथ अपने terms and conditions पे काम किया। इसी वजह से उन्हें, “दूध में तैरने वाला मगरमच्छ” भी कहा जाने लगा।
गुजरात कोओपरेटिव मिल्क मार्केटिंग फेडरेशन (GCMMF):-
वर्ष 1973 में डेयरी उत्पादकर्ता को बाज़ार मुहैया कराने के प्रयोजन से डॉ॰ वर्गीज कुरियन नें इस संस्था कि स्थापना की थी। इस संस्था के अध्यक्ष पद पर वह वर्ष 1973 से वर्ष 2006 तक बने रहे और उत्तम योगदान दिया।
ऑपरेशन फ़्लड/operation flood:-
साठ और सत्तर के दशक की बात करें तो इस दौर में हमारे देश में दूध उत्पादन की बड़ी कमी थी। इसी समस्या को जड़ से खत्म करने के लिए वर्गीज कुरियन कटिबद्ध थे। वर्ष 1970 में ऑपरेशन फ़्लड का आगाज़ हुआ। जिसे तीन चरण में समप्न्न किया गया। इस महा अभियान के फल स्वरूप हमारा देश विश्व का सबसे प्रबल और बड़ा दूध उत्पादक केंद्र बन गया और डॉ. कुरियन को “the man with billion-litre idea” नाम से फेमस हुए।
➡ डॉ. कुरियन के अमूल मॉडल को कई और राज्यों ने अपनाया और वहां भी दूध की धारा बहने लगी। कर्नाटक के ब्रांड नंदनी, राजस्थान के ब्रांड सरस और बिहार के ब्रांड सुधा ने अपने-अपने क्षत्रों में बड़ी सफलता हासिल की।
डॉ. कुरियन के अन्य प्रमुख योगदान/contributions of doctor verghese kurien:-
“धारा” (Operation Golden Flow for cooking oils), “मदर डेयरी” और “सफल” (सब्जियों का ब्रांड) की स्थापना में अहम भूमिका।
सोवियत यूनियन, पाकिस्तान व श्रीलंका में अमूल के तर्ज पर को-ऑपरेटिव स्थापित करने में सहयोग।
प्रसिद्ध रचनाएँ/books by doctor verghese kurien:-
डॉ॰ वर्गीज कुरियन द्वारा लिखी गयी प्रसिद्ध किताबों की बात करें तो उन्होने अपने जीवनकाल में
. “एन अंफिनिशड ड्रीम”,
. “द मेंन हु मेंड एलिफेन्त डांस”, और
. “आई टू हैड आई ड्रीम”
यह तीन किताबें लिखी थीं, जिनमें उन्होने अपने जीवन में घटित अच्छे-बुरे प्रसंग और संघर्ष के बारे में विस्तार से लिखा है।
उपलब्धियां और सम्मान/awards to doctor verghese kurien:-
. वर्ष 1963 में रमन मेंगसेसे अवार्ड से सम्मानित हुए।
. वर्ष 1965 में भारत सरकार द्वारा पद्म श्री अवार्ड मिला।
. वर्ष 1966 में भारत सरकार द्वारा पद्म भूषण अवार्ड दिया गया।
. वर्ष 1986 में भारत सरकार नें उन्हे कृषि रत्न सम्मान प्रदान किया।
. वर्ष 1986 में ही फिर उन्हे कोर्निंग फाउंडेशन द्वारा वाटलर शांति पुरस्कार मिला।
. वर्ष 1989 में वर्ल्ड फूड प्राइज़ फाउंडेशन द्वारा वर्ल्ड फूड प्राइज़ पुरस्कार दिया गया।
. वर्ष 1991 में मीशिगन स्टेट विश्वविद्यालय द्वारा डिस्टिंगविशड़ अलुम्नी सम्मान दिया गया।
. वर्ष 1993 में वर्ल्ड डेयरी एक्स्पो नें उन्हे इंटरनेशनल पर्सन ऑफ द ईयर चुना।
. वर्ष 1999 में भारत सरकार द्वारा वह पद्म विभूषण अवार्ड से सम्मानित हुए।
मिल्क मैन ऑफ इंडिया और श्वेत क्रांति के जनक डॉ॰ वर्गीज कुरियन के जीवन से जुड़ी रोचक बात यह है कि, वह खुद दूध नहीं पीते थे। उन्हे दूध पीना अच्छा नहीं लगता था।
अमूल – सिर्फ एक डेयरी ब्रांड नहीं, है और भी बहुत कुछ:-
उपरी तौर पर अमूल एक बेहद सफल डेयरी ब्रांड लग सकता है, लेकिन अमूल ने ऐसा बनने के सफ़र में कई ऐसी चीजें कर डालीं जिनकी कोई कीमत नहीं, जो सचमुच अमूल्य हैं-
अमूल ने जात-पात का अंतर ख़त्म किया। हर धर्म हर जाति के किसान अमूल से जुड़े और एक साथ लाइन में लग कर को-ऑपरेटिव को अपना दूध दिया।
अमूल ने आर्थिक तंगी झेल रहे ग्रामीणों का जीवन ही बदल दिया। अब उनके पास पैसा था, जिससे वे बेहतर स्वास्थय, शिक्षा और जीवनशैली का आनंद ले सकते थे।
अमूल की सफलता ने सिर्फ गुजरात या भारत के अन्य राज्यों के किसानो का ही नहीं बल्कि विश्व भर के किसानो का जीवन बेहतर बनाया।
साथ ही मवेशियों के लिए भी अमूल एक वरदान के रूप में आया। अच्छे दूध उत्पादन के लिए अब किसान उनका अच्छा ध्यान रखने लगे और उन्हें बेहतर चारा मिलने लगा।
मृत्यु/death of doctor verghese kurien:-
देश की सबसे बड़ी समस्या का हल देने वाले आदरणीय डॉ॰ वर्गीज कुरियन 90 वर्ष की आयु में 9 सितंबर, 2012 के दिन इस दुनिया से चले गए। उन्होने अपनी अंतिम श्वास गुजरात राज्य के नाडियाड में ली थी। अमूल के माध्यम से उनके द्वारा किये गए उनके अमूल्य योगदान को देश हमेशा याद रखेगा।
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