IAS कैसे बने? syllabus aur salary
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IAS ka full form - Indian Administrative Service होता है l
मराठी और हिन्दी मे ias का full form होता है -भारत प्रशासन सेवा
सिविल सेवा परीक्षा के लिए तैयारी शुरू करने से पूर्व यह बहुत महत्वपूर्ण होता है कि, आपके पास संपूर्ण परीक्षा प्रणाली, सिलेबस, परीक्षा की संरचना और परीक्षा संबंधित अन्य विभिन्न मुद्दों की पूर्ण समझ हो ! हाल ही के बरसों में देखा गया है कि सिविल सेवा परीक्षा प्रणाली में व्यापक बदलाव हुए हैं, यह बदलाव परीक्षा के पाठ्यक्रम, परीक्षा की पद्धति, अभ्यर्थियों हेतु अवसर की सीमा एवं आयु संबंधी है ! तथा भविष्य में भी कुछ बदलाव हो सकते हैं !
कभी-कभी यह देखा जाता है कि कई अभ्यर्थियों को परीक्षा संबंधी पूर्ण जानकारी नहीं होती है, वे आधी अधूरी जानकारी लेकर चलते हैं ! नये व्यक्तियों के सामने परीक्षा संबंधी कई प्रश्न होते हैं जो विज्ञापन को अच्छे से पढ़ कर दूर किए जा सकते हैं ! वर्तमान परीक्षा प्रणाली में हुए परिवर्तनों को ध्यान मैं रखते हुये यह बहुत महत्वपूर्ण हो जाता है कि, संबंधित परिवर्तनों की अच्छी समझ हेतु विज्ञापन का गहराई से अध्ययन किया जाए !
जब आप लोग इस बात को जान लेंगे कि आयोग आपसे क्या चाहता है ?, और आपमें क्या खोजता है ? तब परीक्षा हेतु आपका अध्ययन ज्यादा प्रभावशाली और सफलता केंद्रित होगा ! तैयारी कि प्रत्येक चरण में आप को एक बात ध्यान में रखनी चाहिए कि प्राप्तांको का उतना महत्व नहीं है जितना महत्व इस बात का है की परीक्षा में सफलता प्राप्ति हेतु आप अन्य व्यक्ति की तुलना में कितना बेहतर कर पाते हैं !
परीक्षा की प्रकृति को निम्नलिखित बिंदुओं के आधार पर समझा जा सकता है –
• विज्ञापन का संपूर्ण अवलोकन करना
• परीक्षा पाठ्यक्रम और परीक्षा की मांग को समझना
• पिछले वर्षों के प्रश्न पत्र का गहराई से समग्र विश्लेषण करना और वर्तमान परीक्षा प्रवृतियों को समझना
• परीक्षा के बारे में शिक्षकों सफल अभ्यर्थियों असफल अभ्यर्थियों वरिष्ठ अभ्यर्थियों और मित्रों आदि से चर्चा करना
अब हम प्रत्येक बिंदु पर अलग अलग चर्चा करेंगे!
शैक्षणिक योग्यता-
किसी भी मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालय से किसी भी विषय में स्नातक की उपाधि प्राप्त होना चाहिये !
आयु सीमा -
• सामान्य अभ्यर्थी के लिए यह आयु सीमा 21 वर्ष से कम तथा 32 वर्ष से अधिक ना हो !
• अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए यह आयु सीमा 21 वर्ष से कम तथा 35 वर्ष से अधिक ना हो !
• अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति से संबंधित अभ्यर्थियों हेतु यह आयु सीमा 21 वर्ष से कम तथा 37 वर्ष से अधिक ना हो !
- कैंडिडेट इंडिया नेपाल या भूटान का होना चाहिए
- SC/ST के लिए उम्र 21 से 37 साल तक होनी चाहिए और इस केटेगरी के स्टूडेंट्स के लिए कोई एग्जाम एटेम्पट लिमिट नहीं है आप जितनी बार भी एग्जाम दे सकते है
- फिजिकली डिसएबल (Physically disable) कैंडिडेट के लिए 21 से 42 साल तक की ऐज (age) रखी गयी है और इस इस केटेगरी में जनरल और ओबीसी के लिए कुल 9 एटेम्पट दिए गए है और SC/ST के लिए कोई लिमिट नही है आप जितनी बार भी एग्जाम दे सकते है
- जम्मू एंड कश्मीर दोमिसिले (Jammu & kasmir domicile) में जनरल के लिए ऐज लिमिट 37 इयर और OBC के लिए 40 साल और SC/ST के लिए 42 और फिजिकल हेंडीकैप के लिए 50 साल रखी गयी है
कुल मौके -
सामान्य वर्ग के व्यक्ति हेतु वर्तमान में 6 प्रयास हैं, अन्य पिछड़ा वर्ग से संबंधित अभ्यर्थियों हेतु वर्तमान में 9 प्रयास है, तथा अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति से संबंधित अभ्यर्थियों के लिए प्रयासों की कोई सीमा लागू नहीं है , अर्थात वे 37 वर्ष तक परीक्षा में शामिल हो सकते हैं !
परीक्षा के चरण -
यह परीक्षा तीन चरणों में आयोजित की जाती है।
प्रारंभिक परीक्षा -
• सिविल सेवा प्रारंभिक परीक्षा जो कि त्रणात्मक अंकों की व्यवस्था के साथ वस्तुनिष्ठ (Objective) प्रकार की होती है !
• प्रारंभिक परीक्षा एक स्क्रीनिंग परीक्षा है , जिसके द्वारा मुख्य परीक्षा हेतु कुछ हजार उम्मीदवारो का चयन किया जाता है !
• अंतिम परिणाम में प्रारंभिक परीक्षा के अंकों को शामिल नहीं किया जाता !
• इस परीक्षा का प्रथम प्रश्न पत्र सामान्य अध्ययन (GS) 200 अंक का होता है ! तथा द्वितीय प्रश्न पत्र सिविल सेवा अभिरुचि परीक्षा (CSAT) 200 अंक का होता है , जो केवल क्वालीफाइंग स्तर ( 33 प्रतिशत ) का होता है , मतलब कि इसके नंबर मुख्य परीक्षा हेतु बनने वाली मेरिट में नहीं जोडे जाते !
• इसका सीधा सा मतलब है कि मुख्य परीक्षा हेतु बनने वाली मेरिट केवल प्रथम प्रश्न पत्र (GS) के पेपर के आधार पर बनती है , दूसरे प्रश्न पत्र अर्थात सीसैट में केवल 33% अंकों के साथ पास होना अनिवार्य होता है !
• द्वितीय प्रश्न पत्र आर्थात CSAT के क्वालीफाई हो जाने के कारण अब यह विशेष रूप से गैर तकनीकी पृष्ठभूमि के अभ्यर्थियों , ग्रामीण पृष्ठभूमि के अभ्यर्थियों के लिए आसान हो गया है ! इससे पूर्व ये अभ्यर्थी द्वितीय प्रश्न पत्र की योग्यता निर्धारण में मुख्य भूमिका होने के कारण नुकसान की स्थिति में रहते थे , यह प्रश्न पत्र उनके अनुकूल नहीं था ! अब परीक्षा प्रणाली प्रत्येक अभ्यर्थी के लिए समान स्तर की हो गई है , या तो सबके लिए कठिन या सबके लिए सामान्य !
मुख्य परीक्षा -
• सिविल सेवा प्रारंभिक परीक्षा जो कि त्रणात्मक अंकों की व्यवस्था के साथ वस्तुनिष्ठ (Objective) प्रकार की होती है !
• प्रारंभिक परीक्षा एक स्क्रीनिंग परीक्षा है , जिसके द्वारा मुख्य परीक्षा हेतु कुछ हजार उम्मीदवारो का चयन किया जाता है !
• अंतिम परिणाम में प्रारंभिक परीक्षा के अंकों को शामिल नहीं किया जाता !
• इस परीक्षा का प्रथम प्रश्न पत्र सामान्य अध्ययन (GS) 200 अंक का होता है ! तथा द्वितीय प्रश्न पत्र सिविल सेवा अभिरुचि परीक्षा (CSAT) 200 अंक का होता है , जो केवल क्वालीफाइंग स्तर ( 33 प्रतिशत ) का होता है , मतलब कि इसके नंबर मुख्य परीक्षा हेतु बनने वाली मेरिट में नहीं जोडे जाते !
• इसका सीधा सा मतलब है कि मुख्य परीक्षा हेतु बनने वाली मेरिट केवल प्रथम प्रश्न पत्र (GS) के पेपर के आधार पर बनती है , दूसरे प्रश्न पत्र अर्थात सीसैट में केवल 33% अंकों के साथ पास होना अनिवार्य होता है !
• द्वितीय प्रश्न पत्र आर्थात CSAT के क्वालीफाई हो जाने के कारण अब यह विशेष रूप से गैर तकनीकी पृष्ठभूमि के अभ्यर्थियों , ग्रामीण पृष्ठभूमि के अभ्यर्थियों के लिए आसान हो गया है ! इससे पूर्व ये अभ्यर्थी द्वितीय प्रश्न पत्र की योग्यता निर्धारण में मुख्य भूमिका होने के कारण नुकसान की स्थिति में रहते थे , यह प्रश्न पत्र उनके अनुकूल नहीं था ! अब परीक्षा प्रणाली प्रत्येक अभ्यर्थी के लिए समान स्तर की हो गई है , या तो सबके लिए कठिन या सबके लिए सामान्य !
साक्षात्कार -
• मुख्य परीक्षा परिणाम के आधार पर विभिन्न सेवाओं हेतु विज्ञापित पदों की संख्या का लगभग 3 गुना व्यक्तियों को आयोग द्वारा साक्षात्कार हेतु बुलाया जाता है !
• इंटरव्यू हेतु 275 अंक निर्धारित किए गए है
तो यहां तक हमने सिविल सेवा की संपूर्ण परीक्षा की पद्धति को समझा , अब बात आती है कि इसकी तैयारी किस प्रकार की जाए !
अध्ययन कैसे करे -
समय की बचत और क्लियर विज़न -
समय की बचत हेतु परीक्षा पैटर्न व उसके सिलेबस के अनुसार ही अध्ययन करे , किसी निश्चित टॉपिक या विषय हेतु एक या दो मानक पुस्तकें पढ़ें ! एक टॉपिक हेतु कई पुस्तकें पढ़ने की बिल्कुल भी आवश्यकता नहीं है ! आपको सिविल सेवक बनना है न कि विद्वान ! सिविल सेवा परीक्षा में अच्छे अंक प्राप्ति हेतु विषय वस्तु को एक दूसरे के साथ अंतर-संबंधित करते हुए पढ़ना चाहिए , इस प्रकार की प्रक्रिया के द्वारा आप चीजों को लंबे समय तक याद रख पाएंगे !
आपको किसी भी पुस्तक का उच्च स्तर तक अध्ययन नहीं करना है , आपको केवल सिविल सेवा परीक्षा में सफलता के लिए अध्ययन करना है , ना कि उस विषय का विद्वान बनने के लिए ! स्पष्टता के साथ विषय का मूलभूत ज्ञान परीक्षा में सफलता के लिए पर्याप्त है और सिविल सेवा परीक्षा के विशाल पाठ्यक्रम को तैयार करने की भी एक मानवीय सीमा होती है , इस सीमा के बाहर जाकर कुछ भी तैयार नहीं हो सकता ! यहां पर हम आपको UPSC/IAS व अन्य State PSC की परीक्षाओं हेतु Toppers द्वारा सुझाई गई महत्वपूर्ण पुस्तकों की सूची उपलब्ध करा रहें हैं जो आपको सिविल सभी पुस्तकों के चयन में मदद करेंगी !
तैयारी के दौरान कुछ महत्वपूर्ण बिंदुओं को ध्यान में रखना चाहिए जो निम्न है –
• तैयारी परीक्षा केंद्रित होना चाहिए , और आपका कठिन परिश्रम सही दिशा में होना चाहिए !
• प्रत्येक टॉपिक पढ़ते समय उद्देश्य होना चाहिए कि हमें उस टॉपिक की मूलभूत समझ आ जाए !
• आपका अधिकतर समय सोचने और परिचर्चा में खर्च होना चाहिए , ना की कई पुस्तकों से अध्ययन सामग्री पढ़ने मे !
• मेरे अनुसार सिविल सेवा परीक्षा में सफलता हेतु सबसे पहले किसी भी टॉपिक का अध्ययन करें , फिर उसके बाद चिंतन करें , और उसके बाद उसका लेखन करें !
• पिछले वर्ष के प्रश्न पत्रों का गहराई से विश्लेषण करें , जिससे कि आप परीक्षक की मांग को समझ सके !
• परीक्षा में सफलता हेतु इस बात को जानना अधिक आवश्यक है क्या नहीं पढ़ना है !
विद्यार्थियों के समूह मे चर्चा -
आप जो कुछ भी पढ़ते है उसकी अपने मित्रों और सहपाठियों के साथ चर्चा अवश्य करें ! आप किसी भी टॉपिक पर बोलने में तभी सक्षम होंगे जब आपने संबंधित टॉपिक ( विषय ) का गहराई से अध्ययन किया होगा , टॉपिक की परिचर्चा के द्वारा आप उस टॉपिक से संबंधित विभिन्न मुद्दों को जान पाते हैं और आपके सम्मुख टॉपिक से संबंधित कई नवीन प्रश्न भी उत्पन्न होती है !
पुनरावृति(revision)-
आप जो कुछ भी पढ़ रहे हैं नियमित अंतराल में उसे दोहराते चलें टॉपिक या विषय की दोहराव के द्वारा आप इससे संबंधित विभिन्न दृष्टिकोणों के बारे में सोचते हैं, और यह आपको एक अच्छी समझ प्रदान करता है ! इस बात का हमेशा प्रयास करना चाहिए कि जो टॉपिक आपने पूर्व में पढ़ लिया है नए टॉपिक या बिषय में प्रवेश करने से पहले उसका दोहराव हो जाए !
विकल्प के रुप मे सही विषय का चयन -
सिविल सेवा में वैकल्पिक विषय चयन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है इसीलिए वैकल्पिक विषय का चयन करते समय निम्न बिंदुओं को ध्यान में रखें –
• ऐसी विषय का चयन बिल्कुल भी नहीं करना चाहिए कि उस संबंधित विषय के साथ कोई पिछले वर्ष या पूर्व के वर्षों में सफल हुआ हो ! आपकी चुने जाने वाले विषय के प्रति कुछ न कुछ रूचि अवश्य होनी चाहिए !
• यदि आपने कम से कम 1 साल तक उस विषय को पढ़ा है तो उसे आने वाले 2 या 3 वर्षों तक भी उसे पढ़ा जा सकता है ! आपकी विषय में रुचि होनी चाहिए , विषय के प्रति जुनून होना चाहिए अन्यथा आप तैयारी का आनंद नहीं ले पाएंगे यह विषय आपको बोझ जैसा प्रतीत होगा और आप विषय को सरलता से भी नहीं समझ पाएंगे !
• वे व्यक्ति जो पोस्ट ग्रेजुएशन की पढ़ाई करके आते हैं उन्हें अपनी पोस्ट ग्रेजुएशन के विषय को ही वैकल्पिक विषय के रूप में चुनना चाहिए , क्योंकि पोस्ट ग्रेजुएशन की पढ़ाई के दौरान आप उस विषय से संबंधित समझ विकसित कर चुके होती हैं !
• कई बार व्यक्ति ऐसे विषय का चुनाव कर लेते है जब उनसे कहा जाता है कि यह विशेष विषय उच्च अंक दिला सकता है ! जबकि हो सकता है कि संबंधित विशेष विषय में उसकी रुचि ना हो अब दूसरा पक्ष भी देखें तो हो सकता है कि किसी अभ्यर्थी ने इस विषय में उच्च अंक प्राप्त किए हों लेकिन इसके विपरीत यह भी हो सकता है कि कई अभ्यर्थी इस विषय के साथ उच्च अंक प्राप्त कर ही ना पाए हों ! अतः विषय के चुनाव के लिए इस प्रकार का मापदंड नहीं होना चाहिए !
• कुछ अभ्यर्थी पाठ्यक्रम के आकार के आधार पर भी वैकल्पिक विषय का चुनाव करते हैं मतलब वह देखते हैं कि संबंधित विषय का पाठ्यक्रम कितना छोटा है कुछ मामलों में यह उचित कदम हो सकता है , लेकिन विषय के चुनाव का एकमात्र मापदंड नहीं हो सकता ! इसीलिए केवल इस आधार पर कि संबंधित विषय का पाठ्यक्रम छोटा है विषय का चुनाव ना करें !
• यदि आप सामान अध्ययन के पाठ्यक्रम में शामिल विषयों जैसे – इतिहास , भूगोल , राज व्यवस्था , अर्थव्यवस्था आदि से संबंधित वैकल्पिक विषय का चुनाव करते है जो आपको सामान्य अध्यन की तैयारी में अतिरिक्त लाभ देगा और वैकल्पिक विषय की तैयारी के साथ ही सामान्य ज्ञान के कुछ टॉपिक्स भी तैयार हो जाएंगे ! इससे आपको संबंधित टॉपिक्स में सामान अध्ययन हेतु अतिरिक्त तैयारी नहीं करनी पड़ेगी ! लेकिन हम पुनः इस बात को दोहराना चाहेंगे कि आप इन विषयों का चुनाव तभी करें जब आपका इन विषयों के प्रति वास्तविक जुनून और इक्छा हो !
• कुछ अभ्यर्थी ऐसे भी होते हैं जो प्रत्येक वर्षं वैकल्पिक विषय को बदलते रहते है , क्योंकि वह किसी विशेष वैकल्पिक विषय में अच्छे अंक नहीं ला पाते लेकिन मैं महसूस करता हूं कि सर्वप्रथम प्रत्येक अभ्यर्थी को आत्मविश्लेषण करना चाहिए और अपने में कमियां खोजनी चाहिए न कि विषय में ऐसा भी होता है कि उसी वर्ष उस विषय में अनेक अभ्यर्थी अच्छे अंकों के साथ सफलता प्राप्त करते हैं ! अतः हमें विषय को दोष नहीं देना चाहिए बल्कि विषय को लेकर की गई हमारी मेहनत का आकलन करना चाहिए और उसमें अपेक्षित सुधार भी करनी चाहिए !
• यदि आप यह पाते हैं कि कोई वैकल्पिक विषय वास्तव में आपके लिए कठिन है तो बिना देर किए हुए उसे बदल लेना चाहिए यह कार्य आप तैयारी के प्रारंभ में ही कर लें तो अधिक उचित होगा !
• जैसा कि ऊपर के बिंदुओं बताया जा चुका है कि सिविल सेवा परीक्षा में वैकल्पिक विषय महत्वपूर्ण स्थान रखता है तो आप ऐसे वैकल्पिक विषय को चुनाव करें जिसके प्रति आप पूर्ण रुप से सहज हों विषय को लेकर जरा भी तनाव एवं दबाव नहीं होना चाहिए !
• आजकल UPSC द्वारा सिद्धांत पर आधारित एवं तथ्यात्मक प्रश्न बहुत कम पूछे जाते हैं ! वर्तमान में अवधारणात्मक स्पष्टता , विश्लेषणात्मक योग्यता , प्रश्नों की गहरी समझ एवं समसामयिक घटनाओं से उनका संबंध स्थापित करते हुए व्यवहारिक प्रश्न पूछे जाते हैं ! इस प्रकार के प्रश्नों को पूछने के पीछे आयोग का मुख्य उद्देश्य उम्मीदवार की विश्लेषणात्मक समसामयिक घटनाओं में रूचि तथा उम्मीदवार के व्यवहारिक ज्ञान का परीक्षण करना होता है ! अतः किसी भी विषय का चुनाव तभी करें जब आप संबंधित विषय को अच्छे से समझ सकते हैं !
आईएएस कोचिंग की भूमिका -
आजकल की प्रतियोगी वातावरण में कोचिंग संस्थानों की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण हो जाती है , जैसा कि आपको ज्ञात है कि प्रत्येक वर्ष इस परीक्षा में लगभग 1 लाख अभ्यर्थी भाग लेते हैं और लगभग 1000 अंतिम रूप से चयनित होते हैं ! इस अनुपात को देखते हुए कोचिंग संस्थानों की भूमिका और बढ़ जाती है , लेकिन यह बात भी है कि यदि कोई व्यक्ति इस सोच के आधार पर कोचिंग संस्थान में प्रवेश लेता है कि वह अच्छी तरह से कोचिंग लेने के बाद ही सिविल सर्विस परीक्षा में सफल हो सकता है तो वह बहुत बड़ी गलती कर रहा है , हमें शत-प्रतिशत रूप से कभी कोचिंग संस्थानों पर निर्भर नहीं रहना चाहिए ! कोचिंग संस्थान केवल आपको परीक्षा की तैयारी का मार्ग दिखाते हैं अंतिम रूप से सफलता आपकी कठिन मेहनत एवं त्याग पर ही निर्भर करती है न कि कोचिंग संस्थानों पर !
अंत मे सबसे महत्पूर्ण बात -
समय सारिणी बनाकर प्रतिदिन अध्ययन करना और समय का पाबंद होना तथा न्यूज़, मैगज़ीन के साथ अपडेट रहना चाहिए l
IAS Salary- ग्रेड पे के अनुसार -
Grade | Pay Scale | Grade Pay | Years of Service Required |
---|---|---|---|
Junior Scale | 50,000 - 1,50,000 | 16,500 | NA |
Senior Time Scale | 50,000 - 1,50,001 | 20,000 | 5 years |
Junior Administrative Grade | 50,000 - 1,50,002 | 23,000 | 9 years |
Selection Grade | 1,00,000 - 2,00,000 | 26,000 | 12 to 15 years |
Super Time Scale | 1,00,000 - 2,00,000 | 30,000 | 17 to 20 years |
Above Super Time Scale | 1,00,000 - 2,00,000 | 30,000 | Varies |
Apex Scale | 2,25,000 (Fixed) | NA | Varies( around 30 years) |
Cabinet Secretary Grade | 2,50,000 (Fixed) | NA | varies |
IAS Salary fresher से experienced तक -
Pay Level (years in service) | Basic Pay (INR) | Post |
---|---|---|
10 (1-4 years) | 56100 | Sub-divisional magistrate in District Administration |
Undersecretary in State Secretariat | ||
Assistant Secretary in Central Secretariat | ||
11 (5-8 years) | 67,700 | Additional district magistrate in District Administration |
Deputy Secretary in State Secretariat | ||
Under-Secretary in Central Secretariat | ||
12 (9-12 year) | 78,800 | District magistrate in District Administration |
Joint Secretary in State Secretariat | ||
Deputy Secretary in Central Secretariat | ||
13 (13-16 years) | 1,18,500 | District magistrate in District Administration |
Special secretary-cum-director in State Secretariat | ||
Director in Central Secretariat | ||
14 (16-24 years) | 1,44,200 | Divisional commissioner in District Administration |
Secretary-cum-commissioner in State Secretariat | ||
Joint Secretary in Central Secretariat | ||
15 (25-30 years) | 1,82,200 | Divisional commissioner in District Administration |
Principal Secretary in State Secretariat | ||
Additional secretary in Central Secretariat | ||
16 (30-33 years) | 2,05,400 | Additional Chief Secretary in State Secretariat |
17 (34-36 years) | 2,25,000 | Chief Secretary in State Secretariat |
Secretary in Central Secretariat | ||
18 (37+ years) | 2,50,000 | Cabinet Secretary of India |
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