नेत्रहीन IAS PRANJAL PATIL की संघर्षभरी कहानी INSPIRATIONAL /MOTIVATIONAL STORY
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प्रांजल जब 6th क्लास में थीं उस वक्त उनकी क्लास की एक स्टूडेंट्स से उनकी आंख में पेंसिल लग गई थी, इससे उनकी एक आंख की रोशनी चली गई थी. एक साल बाद दूसरी आंख ने भी साथ छोड़ दिया था.
कहानी एक ऐसी लड़की की, जिनकी आंखें नहीं है. उनकी आंखें दुर्लभ बीमारी की वजह से नहीं गई थीं बल्कि एक हादसे ने उनकी आंखों को छीन लिया था.
इस लड़की का नाम है कि प्रांजल पाटिल. इस घटना ने प्रांजल को बुरी तरह तोड़ दिया था लेकिन वे रुकी नहीं बल्कि डटी रहीं और जूझती रहीं. इसका नतीजा ये हुआ कि आज वे देश की पहली नेत्रहीन आईएएस (IAS) बन गई हैं. हाल ही में उन्हें केरल के तिरुवनंतपुरम जिले में पोस्टिंग मिली है. कैसे तय किया उन्होंने ये सफर आइए जानते हैं.
प्रांजल पाटिल महाराष्ट्र के उल्लास नगर की रहने वाली है. वे पढ़ाई में बेहद अच्छी थीं. जब वे छठवीं क्लास में थीं उस वक्त उनकी क्लास की एक स्टूडेंट्स से उनकी आंख में पेंसिल लग गई थी. इससे उनकी एक आंख की रोशनी चली गई. इसके बाद अगले साल ही उनकी दूसरी आंख की रोशनी भी चली गई.
ब्रेल लिपि बनी सहारा
दोनों आंखों की रोशनी जाने के बाद भी प्रांजल ने हार नहीं मानी, उन्होंने ब्रेल लिपि के जरिए पढ़ाई जारी रखी. साथ ही उन्होंने एक ऐसे सॉफ्टेवयर की मदद ली, जिसे वे सुनकर पढ़ती थीं. इस तरह वे पढ़ाई करती रहीं. तकनीक की जितना साथा मिला प्रांजल ने खुद को उतना मजबूत बनाया.IAS बनने की बचपन से थी ख्वाहिश
बचपन से मेधावी प्रांजल ने आईएएस बनने की ठानी. हालांकि इसके पहले उन्होंने कई अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी भी दी थीं लेकिन उन्होंने अपना मुख्य फोकस आईएएस परीक्षा पर ही रखा. उन्होंने साल 2016 में पहली बार UPSC की परीक्षा दी थी.
दूसरी बार मे मिली कामयाबी
प्रांजल को पहले प्रयास में 733 वीं रैंक हासिल हुई. रैंक सुधारने के लिए प्रांजल ने एक बार दोबारा प्रयास किया. उन्होंने दोबारा पढ़ाई शुरू की. इस बार उनकी मेहनत रंग लाई और साल 2017 में उन्होंने 124वीं रैंक हासिल की.
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